उत्तर प्रदेश के पूर्वाचंल क्षेत्र के प्रमुख जनपद वाराणसी से 1996 में बना सन्त रविदास नगर जिला आम जन के द्वारा भदोही नाम से जाना जाता है। इलाहाबाद, जौनपुर, वाराणसी, मीरजापुर की सीमाओं को स्पर्श करता यह जिला अपने कालीन उद्योग के कारण विश्व में अत्यन्त प्रसिद्ध है। भारत के भौगोलिक मानचित्र पर यह जिला मध्य गंगा घाटी में 25.09 अक्षांश उत्तरी से 25.32 उत्तरी अक्षांश तक तथा 82.45 देशान्तर पूर्वी तक फैला है। 1056 वर्ग कि0मी0 क्षेत्रफल वाले इस जिले की जनसंख्या 10,77630 है। ज्ञानपुर, औराई, भदोही तीन तहसील मुख्यालयों के अधीन डीघ, अमोली, सुरियावां, ज्ञानपुर औराई और भदोही विकास खण्ड कर्यालय है। मीरजापुर के साथ मिलकर संसदीय क्षेत्र बनाने वाले इस जनपद मे 3 विधान सभा क्षेत्र ज्ञानपुर, औराई और भदोही हैं।
इस जनपद का मुख्य व्यवसाय कालीन है। यहां के कालीन उद्योग का लिखित साक्ष्य 16वीं सदी के रचना आइन-ए-अकबरी से मिलने लगता है। वैसे कालीन उद्योग का इतिहास लगभग 5000 वर्ष पुराना है। पहला कालीन लगभग 3000 ई0 पूर्व मिश्र वासियों ने बनाया था। मिश्रवासी बुनाई कला के अच्छे ज्ञाता थे। वहीं से यह कला फारस पहुंची लेकिन अरब संस्कृति की वजह से इसका विकास बाधित हो गया। अब्बासी खलीफाओं के समय में रचित ‘अरेबियन नाइट्स’ कहानियों में जिन्न के साथ कालीनों के उड़ने का उल्लेख मिलता है। इन कहानियों में वर्णित हारून-उल-रशीद वास्तव में खलीफा थे जिन्हें अरबों का एक छत्र प्रभुत्व समाप्त करने का श्रेय दिया जाता है। अब्बासी खलीफाओं के पश्चात इस्लामिक साम्राज्य का विकेन्द्रीकरण हुआ तथा तुर्की व इस्लामिक राज्यों का उदय हुआ। मुगल राज्य भी उन्हीं में से एक था। फारस से मुगलों के साथ कालीन बनाने की कला भारत आयी। कश्मीर को मुगलों ने इस कला के लिए उपयुक्त स्थल के रूप में चुना जहॉं से यहॉं उत्तर-प्रदेश, राजस्थान व पंजाब पहुंची।